pullback trading strategy in hindi
स्टॉक मार्किट के learnamazon में आज हम एक बेहतरीन टॉपिक जिसका नाम हैं pullback trading strategy in hindi हैं इसकी बे में विस्तार से जानने वाले है क्योंकि इस स्ट्रेटेजी की एक्यूरेसी किसी दुसरे trading रणनीति के मुकाबले बेहतरीन रिजल्ट देने में सक्षम हैं .
what is pullback trading strategy in hindi – pullback trading kya hai ?
पुलबैक ट्रेडिंग stock market में उपयोग की जानेवाली एक स्ट्रेटेजी हैं जो विशेस रूप से share trading में जहां निवेशक एक फिक्स ट्रेंड के अंदर भाव का थोडा गिरने यानी की पुल्ल्ल्बैक के इन्तेजार कर उसमे निवेशा करने के बाद लाभ कमा सकते हैं .
आसान सब्दो में कहें तो कोई भी ट्रेंड चाहे वह निचे का हो या फिर उपर की तरफ का हो वह हमेशा थोडा गिरावट देने के बाद ही अपने चले रहे निरंतर ट्रेंड को फॉलो करता हैं और जब वह थोडा गिरता है उसी में निवेशक अपना पोजीशन बनाकर मुनाफा कमा सकते है .लेकिन ध्यान रखें की जब ट्रेंड रेवेर्सल होता है और पहली बार पुल्ल्बैक देता है उस समय मुनाफा कमाने का सबसे बढ़िया अवसर मिल सकता हैं .
pullback trading strategy में निवेश से लेकर , स्टॉप लोस . एवं बेचने की प्रक्रिया तक सभी विकल्प को सेट करने में बेहद आसानी होती हैं इसलिए यह एक सिंपल एवं भरोशेमंद स्ट्रेटेजी की category में आता हैं तो चलिए आगे हम इससे जुड़े हर महत्वपूर्ण विकल्प को जान लेते हैं जिसमे मैंने इसके लाभ , हानि , स्ट्रेटेजी , टिप्स आदि के बारे में विस्तार से बताया हैं .
Table of Contents


pullback trading strategy के फायेदे
पुलबैक रणनीति का उपयोग जब निवेशक द्वारा किया जाता हैं तब इसकी एक्यूरेसी किसी अन्य trading रणनीति के मुकाबले बेहतरीन होती हैं जिससे निवेशक को pullback trading strategy in hindi का उपयोग करके कई सारे लाभ को जान सकते हैं जिसके बारे में निचे विस्तार से बताया गया हैं .
1 – ट्रेंड के निरंतरता का लाभ
pullback trading strategy निवेशक को प्रचलित ट्रेंड की दिशा में स्थिति में एंट्री करने की अनुमति देती हैं जिसका परिणाम यह होता है की बहुत कम रिस्क में निवेशक थोड़े समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं .
२ – बेहतर रिस्क रिवॉर्ड
pullback trading निवेशक को price को उचे दाम में खरीदने या ट्रेंड के निचे की तुलना में अधिक अनुकूल price पर पोजीशन बनाने के अवसर प्रदान करता हैं .
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३ – सफलता की संभावना में बढ़ोत्तरी
जब किसी स्टॉक चार्ट के उपर अपट्रेंड स्थापित हो जाती हैं तो उस समय बनाने वाला पुल बेक पैटर्न किसी एनी पैटर्न के मुकाबले सफल होने की संभावना को बढ़ा देता हैं . इसलिएसमग्र ट्रेंड को फिर से सुरु करने की संभवना बढ़ जाने के कारण निवेशक को लाभ प्राप्त करने के अछे अवसर मिल जाते हैं .
४ – एंट्री एवं एग्जिट
pullback trading strategy अक्सर कोई अपट्रेंड के प्रवेश एवं निकाष बिंदु को सेट करने के लिए विशिस्ट तकनीक संकेत एवं प्राइस लेवल पर निर्भर करती हैं जिसके कारण भावनात्मक निर्णय लेने के प्रभाव को कम करती हैं एवं समग्र व्यापारिक अनुशासन में सुधर करती हैं .
५ – अन्य रणनीति के साथ सयोंजन
पुल्लाबैक trading रणनीति को जब अन्य किसी इंडिकेटर या फिर trading रणनीति के साथ जोड़कर इस्तेमाल किया जाये तब इसके एक्यूरेसी और अधिक बढ़ जाती हैं जैसे – मूविंग एवरेज , ओस्सिलेटर या फिर कैंडलस्टिक पैटर्न आदि . यह तरीका निवेशक को अपने दृष्टिकोण को अनुकूलित करने और अतिरिक्त तकनीक विश्लेषण टूल्स को शामिल कर अपनी निवेश रणनीति को बढ़ाने की अनुमति प्रदान करदान करता हैं .
pullback trading strategy में इंडिकेटर को कैसे इस्तेमाल करे ?
pullback trading strategy में संभावित अवसर को पुख्ता करने के लिए विभिन्न टेक्निकल इंडिकेटर को इस्तेमाल कर उसके सफल होने के संभावना को बढ़ाया जा सकता हैं . इसलिए निचे कुछ सबसे बेहतरीन परिणाम देने वाले इंडिकेटर को विस्तार से बताया गया हैं .
१ – मूविंग एवरेज
ट्रेंड और संभावित रेजिस्टेंस एवं सपोर्ट को प्राप्त करने के लिए मूविंग एवरेज का रोले अहम् मन जाता हैं इसलिए जब कोई चार्ट पर पुल बेक का पैटर्न दिखाई दे तो उस समय ट्रेड लेने से पहले मूविंग एवरेज के मदद से पुस्ती जरुर करना चाहिए . छोटे अवधि के लिए निवेशक २० या ५० दिन का मूविंग एवरेज एवं लम्बे निवेश के लिए २५० दिन का मूविंग एवरेज इस्तेमाल कर सकते हैं .
२ -आर एस आई
rsi एक ओस्सिलेटर इंडिकेटर है जो प्राइस में उतार एवं चढाव की गति और परिणाम को मापने में सक्षम हैं . इसलिए निवेशक बाजार में rsi का उपयोग अधिक खरीद या फिर अधिक बिकवाली का पहचान करने के लिए करते हैं , जो संभावित पुल बेक अवसर को पुस्ती करने में मदद कर सकता हैं .
३ – वॉल्यूम
टेक्निकल चार्ट में trading वॉल्यूम pullback की ताकत में अंतर्दृष्टि प्रदान करता हैं . जब चार्ट पर pullback का पैटर्न का निर्माण होता हैं तब उस समय बन रहे हाई वॉल्यूम यह बताता हैं की बाजार कभी भी उपर की तरफ तेजी के साथ जा सकता हैं वही दूसरी तरफ डाउन ट्रेंड में बनाने वाले हाई वॉल्यूम मार्किट को निचे की तरफ धकेलता हैं .
४ – कैंडलस्टिक पैटर्न
pullback trading strategy में बनने वाले कैंडलस्टिक पैटर्न जैसे – हैमर , एन्गुल्फिंग पैटर्न , दोजी , आदि pullback के अवसर को अतरिक्त पुष्टि प्रदान करने का काम करते हैं . जब अन्य इंडिकेटर को pullback रणनीति के साथ जोड़ा जाता हैं तब निवेशक को पुल बेक की ताकत एवं संभावित ट्रेंड में निरंतरता का आंकलन करने में मदद मिलता हैं .
pullback trading strategy in hindi
वैसे pullback के द्वारा किसी स्टॉक में एंट्री एवं एग्जिट करने के लिए कई सरे रणनीति का इस्तेमाल किया जाता हैं लेकिन इस लेख में हम केवल उन मुख्य रणनीति के बारे में बताने वाले है जिसके इस्तेमाल से बेहतरीन रिजल्ट प्रपात किये जा सकते हैं .निचे कुछ रणनीति के बारे में विस्तार से बताया गया जो इस प्रकार हैं –
१ – ब्रेक आउट पुल बेक रणनीति


इस रणनीति में निवेशक एक अपट्रेंड के दौरान रेजिस्टेंस लेवल या फिर डाउन ट्रेंड के दौरान सपोर्ट के टूटने के इन्तेजार करता हैं . ब्रेक आउट के बाद निवेशक pullback आने का इन्तेजार करते हैं जो टूटे हुए पिछले लेवल का रितरेस्मेंट होता हैं . निवेश एंट्री तब बनाते हैं जब प्राइस अपने ब्रेक आउट लेवल पर वापस आ जाता हैं और वहां से ट्रेंड को फिर से सुरु करने एवं निरंतरता के संकेत देता हैं .
२ – मूविंग एवरेज पुल बेक रणनीति
इस तरह के strategy में विभिन्न तरह के दो अवधि वाले मूविंग एवरेज को इस्तेमाल किया जाता हैं . निवेशक अमूमन एक छोटी अवधि की चलती मूविंग एवरेज जैसे २० दिन एवं लम्बी अवधि की चलती मूविंग एवरेज जैसे ५० दिन को यूज कर सकते हैं .निवेशक एंट्री तब बना सकते हैं जब चार्ट पर pullback पैटर्न बनने के साथ छोटी अवधि की की मूविंग एवरेज बड़ी वाली को उपर की तरफ काट दे .
३ – एन्गुल्फिंग पैटर्न
इस तरह के pullback trading strategy में सबसे अधिक bullish engulfing पैटर्न का निर्माण सबसे अधिक होता हैं . इसलिए जब चार्ट के उपर पुल बेक पैटर्न का निर्माण हो रहा होता है तब ऐसे में यदि bullish engulfing कैंडलस्टिक बनता दिखे तो यह ट्रेंड के निरन्तरता बरक़रार रखने का संकेत प्रदान करता हैं और किसी इंडिकेटर के मुकाबले बहुत जल्दी प्रवेश करा देता हैं .
४ – लाभ लक्ष्य निर्धारित करना
इस रणनीति का उपयोग कर निवेशक अपने जोखिम – प्रतिफल अनुपात के आधार पर पूर्वनिर्धारित लाभ लक्ष्य सेट करते हैं . एक बार बार जब प्राइस लक्ष्य लेवल तक पहुँच जाती हैं तो लेवल निवेशक उस ट्रेड से बहार हो जाता हैं . वैसे लाभ लक्ष्य को प्रतिरोध स्तरों, फिबोनाची विस्तार स्तरों द्वारा आसानी से सेट किया जा सकता हैं . लाभ लक्ष्य निर्धारित करने से निवेशक को लाभ प्राप्त करने में आसानी होती हैं .