लोन सेटलमेंट कैसे करे-पर्सनल लोन की रिकवरी
यदि आप लोन से जुड़े बहुत सारे सवाल से जूझ रहे है तो उन सभी का समाधान आपको इस लेख में मिल जायेगा जिसके बाद आपको कोई भी फैसला लेने में परेशानी नहीं आएगी ।
क्योंकि यह एक ऐसा परिस्थिति है जिससे सभी को एक बार जरूर गुजरना पड़ता हैं इसलिए आपको इस मसले पर ज्यादा चिंता करने की भी कोई जरुरत नहीं क्योंकि कुछ आपके भी अधिकार हैं जिसे जानना जरुरी हैं ।।
चाहे उसका कारण कुछ भी हो उसपर हम ज्यादा बात नहीं करेंगे क्योंकि इस लोन स्टेलमेंट की समस्या को यदि आप हलके में लेंगे तो आपको आगे आने वाले समय में बहुत बड़ा नुक्सान हो सकता हैं ।
सबसे पहले यह जानना जरुरी है की यह लोन की समस्या कैसे पैदा होती हैं तो मैं आपको बता दू की अक्सर बैंक वाले या फिर कोई फाइनेंस कंपनी किसी प्रोडक्ट के लिए जैसे कार लोन , बाइक लोन , होम लोन आदि के ऊपर लोन मुहैया कराती हैं ।
जिसके बदले में वह हमसे अच्छा ख़ासा ब्याज भी वसूलती हैं और लोन देते समय पुरे हमदर्दी दिखाते हैं ताकि कस्टमर को किसी भी हाल में लोन के लिए राजी किया जा सके और इसी लालच में हम बुरी तरह फंस जाते हैं ।
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Loan settlement की समस्या कैसे आती है ?
अचानक से कोई बड़ी समस्या आ जाए जैसे जॉब का छूट जाना , किसी के ऊपर निर्भरता का समाप्त हो जाना आदि तो इस अवस्था में हम बैंक या किसी लोन कंपनी को लोन या फिर क्रेडिट कार्ड बिल का सही समय पर चुकाने में असफल हो जाते हैं ।
इस स्थिति में लोन सेटलमेंट की समस्या पैदा हो जाती हैं और इसी समय आपको इस विषय में बहुत सोच समझकर काम करने की आव्सय्कता हैं ताकि आगे आनेवाले उलझन को कम किया जा सके ।
उस तरह के सिचुएशन जो आपके लोन सेटलमेंट करने में थोड़ी बहुत मदद कर सकते हैं ? |
1. जब किसी लोन लेने वाले व्यक्ति की अच्छी खासी जॉब अचानक किसी वजह से छोड़नी पड़ जाती है और उसका आमदनी का जरिया कुछ दिन या महीने के लिए बंद हो जाता है तो वह अपने परिवार की जरुरत पूरा करने की तरफ जाता हैं जिससे इस तरह की लोन सेटलमेंट की समस्या बनती हैं ।
2. यदि लोन लेने वाला व्यक्ति को अचानक किसी बड़ी बीमारी से रोग ग्रस्त हो जाता जिसमे वह जल्दी ठीक होने के लिए अपनी सारी जमा पूंजी महंगे इलाज में खर्च कर देता हैं उस परिस्थिति में वो लोन नहीं चुका पाने की स्थिति में आ जाता हैं ।
3.लोन लेने वाला व्यक्ति के साथ या उसके परिवार में किसी सदस्य के साथ अचानक कोई बड़ी दुर्घटना हो जाती है जिसके इलाज या उस स्थिति को ठीक करने में बहुत ज्यादा पैसे लग जाते हैं ऐसे में वह लोन न चुकाने की स्थिति में आ जाता हैं ।
loan settlement में किन – किन सिचुएशन का सामना करना पड़ता हैं ?
जब किसी अन्य कई तरह की समस्य के वजह से लोन लेने वाला वयक्ति लोन देने में सक्षम नहीं होता हैं तो बैंक वाले सबसे पहले लोन लेने वाले वयक्ति से साथ थोड़ा सख्ती से पेश आते हैं जिनसे आपको घबराएं नहीं चाहिए ।
सबसे पहले लोन देने वाले कंपनी या बैंक आपसे पुरे पैसे , लोन ना देने पर फाइन और ब्याज लेने का प्रयाश करते हैं । जबकि लोन लेने वाला ब्याज तक देने में सक्षम नहीं होता हैं ऐसे में आपको दिमाग के साथ काम करने की आव्सय्कता हैं।
रिकवरी एजेंट भी भेज सकते हैं ? |
बैंक या फिर कोई अन्य लोन कंपनी जिससे आपने लोन लिया है उन्हें यह जब मालूम हो जाता हैं की उसके कोई कस्टमर लोन नहीं दे रहे हैं तो ऐसे में उन्हें उनका पैसा डूबता नजर आने लगता हैं जिसके बदलके वह रिकवरी एजेंट को आपके घर पर भेजते हैं ।
जैसे ही वह रिकवरी एजेंट आपके घर लोन वसूलने के लिए आता हैं तो वह पैसा वसूलने के लिए आपके ऊपर दबाव बनाता हैं तरह – तरह के धमिया देता हैं यदि आप उस समय लोन देने के लिए राजी हो जाते है तो आपको लोन में कोई छूट नहीं दीजाती है क्योंकि बैंक या अन्य लोन कम्पनी को रिकवरी एजेंट को कमिसन देना पड़ता हैं ।


लोन सेटलमेंट वाले वयक्ति को इस सिचुएशन में क्या करना चाहिए ?
मान लीजिए की आप पर अचानक किसी बड़ी समस्या आ चुकी हैं जिसके वजह से आप लोन की क़िस्त देने में विफलता नजर आ रही हैं तो ऐसे में आपने जहाँ से भी लोन लिया है वहां अपनी समस्या बताकर एक एप्लीकेशन जमा करना चाहिए ।
अमूमन इस तरह के एप्लीकेशन को सभी लोन देने वाली कंपनियां स्वीकार नहीं करती हैं परन्तु आपको कुछ दिनों तक इंतजार करना चाहिए ताकि उनका कोई जवाब आ सके । अदि एक दो महीने के अंदर आपको लोन देने वाले के तरफ से कोई कॉल आता हैं ।
तो आपको जरूर उनसे संपर्क करना चाहिए और अपनी सारी समस्या बताकर लोन को जितना जल्दी हो सके सेटलमेंट करना चाहिए । वे आपसे पुरे पैसे एक साथ मांगने का प्रयाश करेंगे लेकिन आपको भी उनसे सिर्फ लोन अमाउंट देने की बात कहनी चाहिए ।
उस समय लोन देनेवाला आपसे कम से कम मूल धन , ब्याज लेने का प्रयाश करेगा कुछ निर्णय न निकलने पर वह अंत में केवल अपने मूलधन को मांग सकते हैं और ब्याज एवं लेट फाइन को छोड़ सकते हैं ।
अपना धैर्य और हिम्मत बनाये रखें ? |
रिकवरी एजेंट बहुत सारी धमकियां देते हैं जिसमे वे जेल जाने की धमकी भी दे सकते हैं । वह यह भी कह सकते है की बैंक वाले ने आपके नाम ऍफ़ आई आर करा दी है और अभूत जल्द पैसे नहीं देने पर आपको जेल जाना पड़ सकता हैं ।
आस पास के लोगों के बिच जाकर आपको जलील भी कर सकते हैं लेकिन आपको ज्यादा घबराने की जरुरत नहीं है क्योंकि रिकवरी एजेंट 3 से चार महीने आपको तंग करेंगे ।कुछ महीने के बाद लोन देने वाली कम्पनी से आपको फ़ोन आ सकता हैं जिसमे आपसे कम से कम राशि जमा करके लोन चुकता करने की बात कही जा सकती हैं ।
लोन सेटलमेंट के समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?


जब बात सेटलमेंट की आती है तो आप यह हमेशा ध्यान रखें की जब भी पेमेंट करेने वह लोन ली गयी मुल्ल राशि होगी उसमे जुड़ने वाला ब्याज या फाइन नहीं आएगा और इसे भी कम करना चाहते हैं ।
यानी की प्रिंसिपल अमाउंट को भी कम करने चाहते है तो बैंक द्वारा भेजे गए सेट्लमेंट अमाउंट को दो से तीन बार ठुकरा दे तब वे आपके मुख्य प्रिंसिपल अमाउंट में 80 % देने को कैहँगे
यदि आप इसपर भी राजी नहीं होते है तो वह 70 % पर फिर इसके बाद वे 50 % तक भी आ सकते हैं । यदि यहां तक वे आते हैं तो आपको कम से कम आधी रकम के साथ उन्हें लोन चुकता कर देना सही रहेगा ।
लेकिन यह प्रक्रिया पूरी होते समय आपको बैंक या लोन देने वाली कम्पनी से स्टेटमेंट एवं एनओसी जरूर ले लेना चाहिए क्योंकि बाद में वे फिर लोन लेने की बात कर सकते हैं । लेकिन अभी भी एक बात ध्यान में रखना जरुरी हैं ।
जब आपकी मन मुताबिक लोन देने की बात मान ली जाएगी तब आप अपनी एक शर्त रखें जिनमे एक लेटर पैड के लिखवा ले और आप कहेंगे की जो भी तारिक को आपने लोन लिया था वह सभी लोन सेटलमेंट के जरिए चुकता कर दिया हैं ।
अब बैंक और आपके बिच कोई भी लेन- देन लोन के माध्यम बाकी नहीं रह गया हैं सभी फुल एंड फाइनल पेमेंट हो चूका हैं । अथार्त सभी हिसाब पूर्ण हो चुके और वह लेटर सभाल कर रखिये आपको फ्यूचर में कोई दिक्कत नहीं होगी ।
लोन सेटलमेंट के दूरगामी प्रभाव -(लोन सेटलमेंट कैसे करे-पर्सनल लोन की रिकवरी)


इस लोन सेटलमेंट की प्रक्रिया को देखा जाए तो बहुत लुभावनी हैं है क्योंकि आप चाहे तो किसी भी राशि पर बैंक या दूसरे लोन कंपनी के साथ समझौता कर सकते हैं लेकिन यह आपके आने वाले समय के लिए बहुत बुरा असर करती हैं ।
ग्राहक की लोन की साड़ी डिटेल लगभग सभी लोन देने वाली कम्पनी के पास रहती हैं और जब आप लोन सेटलमेंट करते है तो आपके खाते में भी सेटल्ड दर्ज कर दिया जाता हैं और यह जान ले की ,
किसी भी खाताधारक के खाते में लोन सेटल्ड दर्ज होने का मतलब यह होता है की उन्होंने समय से पहले अपने लोन को कम राशि देकर उस लोन खाते को बंद करा दिया हैं हालाँकि यह अनपेड दर्ज होने से बेहतर निर्णय हैं ।
लेकिन सभी फाइनेंसियल संस्था को यह सन्देश देती है की फ्यूचर में लोन के मामले में ग्राहक फिर से इस तरह की हरकत कर सकते हैं और वैसे भी कोई भी लोन देने वाली संस्था ग्राहक को लोन देने से पहले उसका क्रेडिट स्कोर पहले चेक करती हैं । इसका प्रभाव लगभग 7 साल तक रहता हैं ।
क्रेडिट स्कोर में सुधर कैसे करे ? |
जैसा की हमने बचपन में पढ़ा हैं की लोहा – लोहे को काटता हैं बस इसी तर्ज पर आपको भी काम करना होगा और इसके लिए आपको मेहनत थोड़े ज्यादा करने होंगे सभी लोन कंपनियों के साथ बात करके लोन के लिए राजी कराना होगा ।
बाकायदा आपको एक अलग से प्रूव देकर यह बताना होगा की अब जो आप लोन लेने जा रहे हैं उसका पूरा राशि देने में सक्षम होंगे जैसे ही लोन आपको मिलती हैं आपका क्रेडिट स्कोर में सुधार होने लगता हैं ।
पर्सनल लोन न चुकाने पर क्या होगा-(लोन सेटलमेंट कैसे करे-पर्सनल लोन की रिकवरी)


अक्सर लोग लोन सेटलमेंट के डर से और लोन को सही समय पर चुकता नहीं कर पाने के वजह से कुछ गलत कदम उठा लेते है जबकि हम सभी को यह पता है बैंक या फिर कोई लोन देने वाली दूसरी कम्पनी कई शर्त पर हमसे हस्तक्षर तो करवाते है परन्तु आपके भी कुछ अधिकार है जिनका पालन बैंक वाले भी करते हैं ।
यदि आप कोई समस्या के वजह से लोन को चुकता नहीं कर पा रहे है तो घबराने की जरुरत नहीं हैं क्योंकि कोई भी लोन देने वाला आपको परेशान नहीं कर सकता और वाइज भी आपके पास कौन – कौन से अधिकार है उसे भी जान लेते हैं ।
इसलिए कोई भी लोन देने वाली संस्था अधिकार के अदाएरे में ही आपके ऊपर कोई करवाई कर सकता हैं । इसमें सबसे पहली बात यह जान ले की बैंक आपको फजिकली किसी तरह का कोई नुक्सान नहीं पहुंचाता ।
कोई आपको धमकी नहीं दे सकता हैं ? |
यदि लोन को चुकता नहीं कर पा रहे है तो कोई भी बैंक कर्मचारी आपको धमकी नहीं दे सकता है और ना ही आपको फिजिकल और सार्वजनिक तौर पे नुक्सान पंहुचा सकता हैं । यह सच जरूर है की लोन को वसूलने के लिए कोई तीसरा आदमी जिसे रिकवरी एजेंट कहते उसे आपके पास भेज सकता हैं ।
ये लोग भी आपसे लोन चुकाने या फिर लोन सेटलमेंट के लिए केवल बोल सकते हैं और ये सिर्फ दिन में आ सकते हैं रात में इन्हे लोन वसूलने की अनुमति नहीं है इसलिए रिकवरी एजेंट भी दायरे में काम करते हैं ।
यदि लोन लेते समय कोई गिरवी सामान रखा है तो घबराये नहीं ?
मान लीजिये की आपने होम लोन लिया है और क़िस्त नहीं दे पा रहे है तो इस स्थिति में वह आपके घर की नीलाम कर सकते हैं लेकिन आपके कुछ क़िस्त बाकी है तो वह आपके घर को नीलाम नहीं कर पाएंगे क्योंकि ऐसा करने के लिए उन्हें लम्बी चौड़ी प्रक्रिया से गुजरना होगा ।
लोन चुकाने के लिए पूरा समय मिलता हैं |
यदि आप लोन नहीं दे पा रहे है तो ऐसे में बैंक के द्वारा आपको एक नोटिस भेजी जाती हैं जिसमे आपको लोन चुकाने के समय दिया जाता हैं । इसके बाद भी यदि लोन नहीं दे पा रहे है तो बैंक आपके ऊपर करवाई करता हैं जिसमे आपकी सम्पति बेचना भी शामिल हैं ।
इसके बाद भी आपको 60 दिन के फाइनल नोटिस जारी किया जाता हैं और इसके बाद ही घर की नीलामी के लिए प्रक्रिया सुरु की जाती हैं । इस समय आपका लो वाली प्रॉपर्टी को कोई भी दाम में नहीं बेचा जाता बल्कि एक बेस प्राइस तय की जाती हैं ।
क्या बचा पैसा मिल जाता हैं ? |
अगर कोई बैंक आपकी सम्पति नीलाम कर देता है तो वह अपने जरुरी पैसे काटने के बाद बचे हुए पैसे उस लोन वाले वयक्ति को लुटा देता हैं जैसे मान लीजिए की आपने कोई घर 1 करोड़ में ख़रीदा जिसका 50 लाख आप भुगतान कर चुके है ।
और आगे नहीं कर पा रहे है तो ऐसे में आपके घर को नीलाम करने के बाद उन पैसो में कुछ टैक्स या फाइन काटने के बाद आपने जितना भुगतान किया वह आपको वापस कर दिया जाता हैं ।
पर्सनल लोन की रिकवरी-(लोन सेटलमेंट कैसे करे-पर्सनल लोन की रिकवरी)


आपको जानकारी के लिए बता दे की personal loan एक तरह से insured loan होता है जिसमे अगर लोन भुगतान के दौरान कर्जदार की मौत हो जाती हैं तो बैंक अपने पैसे इन्शुरन्स कम्पनी से वसूलता हैं ।
पर्सनल लोन इन केस ऑफ़ डेथ |
आजकल लोन का चलन बढ़ते ही जा रहा है इसलिए ,बैंक भी कुछ आसान नियम के साथ बड़ी आसानी से दुकान, घर , एवं गाड़ी आदि कुछ भी खरीदने के लिए कर्ज देने लगी हैं और साथ ही आप अपनी जरूरत के हिसाब से एजुकेशन लोन (Education Loan) या फिर बिजनेस लोन (Business Loan), भी ले सकते हैं।
लेकिन, वहीं दूसरी तरफ मान लीजिए की कर्जदार की किसी कारण असमय मृत्यु हो जाती हैं तो ऐसे में ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि बैंक उस वयक्ति के पर्सनल लोन की रिकवरी को माफ़ कर देती हैं ।
परन्तु ऐसा बिल्कुल नहीं है क्योंकि इस तरह के दिए गए लोन के ऊपर और उस लोन को वसूलने के लिए बैंकों ने कुछ नियम को बना रखा (Loan Recovery Rules after death of Borrower) हैं और आपको भी आज इस तरह के पर्सनल लोन की रिकवरी के लिए बैंकों द्वारा बनाये गए कुछ नियमों को जरूर जान लेना चाहिए।
1 ) credit card के लिए नियम |
अगर किसी क्रेडिट कार्ड वाले वयक्ति की असमय मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में बैंक या कोई अन्यक्रेडिट कार्ड कंपनी धारक के उत्तराधिकारी से अपना पैसे वसूलती है और इसके बाद भी पैसे नहीं मिलने की स्थिति में उन्हें इतना हक़ है की वह उसकी संपत्ति को बेचकर पैसे चुकता करते हैं ।
2 ) home loan के लिए
आज के समय में लगभग हर मध्यम वर्ग का व्यक्ति नया घर बनाने के लिए होम लोन की तरफ कदम रखता है लेकिन, होम लोन लेने के बाद मान लीजिये किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गयी तो ऐसे में घर कर्ज को चुकाना बहुत मुश्किल हो जाता है इसलिए ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति का जो उत्तराधिकारी होता है उसे उस संपत्ति का हक मिल जाता है।
अब वह व्यक्ति ही बैंक की नजर में और उसका लोन चुकाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।अगर उत्तराधिकारी भी लोन चुकाने में अश्मर्थ है तो बैंक मृतक की संपत्ति (Property of Borrower) पर कब्जा करके उसकी नीलामी करके अपना लोन वसूल लेती है ।
इसलिए इस सिचुएशन से बचने के लिए एवं पर्सनल लोन की रिकवरी के विकल्प के तौर पर आजकल लोग लोन लेते वक्त टर्म इंश्योरेंस एक्टिव करते है जिससे ऐसी स्थिति आने पर सारे पैसे बीमा कंपनियां देती हैं।
3 ) business loan के लिए नियम |
आजकल बैंकों द्वारा छोटे से लेकर बड़े बिजनेस के लिए लोन आसानी से मिल जाते हैं । इस तरह के लोन लेते समय बैंक यह फिक्स कर लेते हैं कि अगर लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाती है तो बचा हुआ लोन राशि कौन चुकाएगा इसलिए इसके साथ ही लोग ऐसे लोन पर इंश्योरेंस कवर (Insurance Cover) ले लेते हैं।(लोन सेटलमेंट कैसे करे-पर्सनल लोन की रिकवरी)
अब फ्यूचर में ऐसी घटना घटित होती है तो बैंक सीधे इंश्योरेंस कंपनी (Insurance Company) से अपने बचे हुए लोन की क़िस्त को वसूलती हैं । इसके अलावा बैंक चाहें तो लिए गए बिजनेस लोन अमाउंट के बराबर कोई संपत्ति जैसे घर या प्लॉट,जमीन, शेयर, फिक्स्ड डिपॉजिट ,सोना, आदि से भी बैंक कर्ज वसूल कर सकती है।