pregnancy ke symptoms-pregnency ke lakshan-प्रेगनेंसी के लक्षण 

pregnancy ke symptoms-pregnency ke lakshan-प्रेगनेंसी के लक्षण 

यह बात सौ आने सच है की किसी भी महिला का पहली बार गर्भावस्था की तरफ जाना एक पहला स्टेज होने के साथ सूंदर एहसास का भी अनुभव कराता हैं । इसके साथ ही गर्भवती महिला पहली बार गर्भवती बनने को लेकर बड़ी उत्सुक भी होती हैं ।

जो महिला गर्भ धारण करने की कोशिस कर रही हैं उनके लिए पीरियड का मिश् होना एक आम बात है जो एक प्रकार से पहला संकेत के रूप में जान जाता है लेकिन किसी – किसी में पीरियड का आना जरुरी नहीं है की वे प्रेग्नेंट हैं इन्ही सभी समस्या के बारे में आज पुरे विस्तार से चर्चा करनेवाले हैं ।

स्त्री और पुरुष के मिलन के बाद जब pregnency का स्टेज आता है तब बहुत कम महिला को ही इसका एहसास पहले से हो पाता हैं इसलिए प्रेग्नेंसी को कन्फर्म करने के लिए वे आज कल बाजार में बिक रहे प्रेग्नेंसी किट का इस्तेमाल करती है जो वो भी सौ प्रतिसत सही नहीं होता हैं ।

जिन थोड़े महिला के बारे में मैंने बताया उन्हें मिलन के दस दिन बाद ही , उनके शरीर में थकान , लगातार पेशाब का आना , शारीरिक तापमान का बढ़ना , चक्कर आना आदि जैसे लक्षण से पता चल जाता हैं ।

एक महत्वपूर्ण बात आपको बता दू की जो महिला गर्भधारण करती है या फिर कर चुकी हैं उनके शरीर का हार्मोन बदलने लगता हैं जिसके वजह से शरीर में की तरह के बदलाव होने सुरु हो जाते हैं जिन्हे ज्यादातर महिला पहचान नहीं पाती हैं । लेकिन इसपर आप ध्यान दे तो आप भी गर्भधारण का पता आसानी से लगा सकती हैं ।

प्रेग्नन्सी में लड़का के लक्षण  बच्चे के लिए ग्राइप वाटर 

प्रेग्नेंट होने के लक्षण-प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दीखते है

आपको एक बात बता दू की सभी महिला में प्रेग्नेंसी के दौरान दिखने वाले लक्षण की प्रकृति एक सामान नहीं होती हैं । मेरा कहने का मतलब यह है की किसी महिला में प्रेग्नेंसी के दौरान दिखने वाले लक्षण किसी दूसरे महिला के लक्षण से बिलकुल भिन्न होता है

इसलिए कई बार पीरियड्स के आने या नहीं आने के संकेत को आप गर्भधारण के सुरुवाती लक्षण समझ बैठते है लेकिन यह जरुरी नहीं है की वह सीधे प्रेगनेंसी की तरह इशारा करता हो हो सकता है उससे जुड़ा कोई  दूसरे समस्या हो

  • प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण- early pregnancy symptoms in hindi 

किसी भी महिला का pregnency का पहला हफ्ता उस महिला के अंतिम पीरियड के हिसाब से आती किया जाता हैं । कुछ विसेसज्ञ द्वारा महिला के अंतिम पीरियड को ही पहला हफ्ता मान लिया जाता हैं  चाहे वी महिला उस समय गर्भवती हो या नहीं हो

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यह तारीख इतना महत्वपूर्ण होता है की इसी तारीख के अनुसार उस गर्भवती महिला के डिलीवरी डेट के संभावित तारीख को भी निकलने में सहायता मिलती हैं इसलिए सुरुवाती सप्ताह में प्रेग्नेंसी के लक्षण महसूस न होने पर उसी डेट को डिलीवरी के लिए गिना जाता है

गर्भ ठहरने के सुरुवाती लक्षण के आधार पर एक सर्वे भी किया गया था जिसमे महिलाओं ने कई तरह के लक्षण  निचे दी गयी हैं –

1 ) 29 प्रतिसत महिला ने बताया की गर्भवती के दौरान पीरियड का नहीं आना उनके पहले संकेत थे

2 ) 25 % महिला को जी मिचलाना , उलटी होना गर्भवती का पहला लक्षण माना

3 ) 17 % महिला ने स्तन के बदलाव को सुरुवाती लक्षण की इशारा किया

4 ) 3 % महिला ने अंडाशय को गर्भ में ठहरने के दौरान हुए रक्त स्राव को पहला संकेत माना

3 महीने प्रेगनेंसी लक्षण    1 और 2 मंथ प्रेगनेंसी लक्षण नीचे पढ़े  4 महीना प्रेगनेंसी लक्षण 

2 week pregnancy symptoms in hindi-2 सप्ताह गर्भावस्था के लक्षण

गर्भवस्था के दौरान दूसरे हफ्ते में प्रवेश करते ही आपका शरीर के डिब्बे को मुक्त करता हैं जो डिम्ब शुक्राणु द्वारा निषेचित किया जाता हैं । लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की आप गर्भवती नहीं हैं इसलिए इस स्टेज में पूरी जानकारी का होना अतिआवशयक हैं

जैसा की आपको ऊपर बताया जा चूका है की आपकी प्रसूति अथार्त डिलीवरी की तारीख आपके अंतिम मासिक धर्म के पहले दिन से गिना जाता हैं । दूसरे सफ्ताह में मुख्य रूप से डिम्ब (ovarian) गर्भाशय से निकलने और निषेचित होने के लिए तैयार होता हैं इसलिए निषेचित डिम्ब को स्वीकार करने के लिए आपका ग्राभाशय का अकार बाद होने लगता हैं

ओवलूशन का सही तारीख तय करना बहुत कठिन है परन्तु इसके होने की संभावना 9 दिन से लेकर 20 दिन तक के बिच कभी भी हो सकता हैं । डिम्ब निकलने के बाद उसे एक शुक्राणु द्वारा निषेचित किया जाता हैं

वीर्यपात का दौरान उसमे से निकलने वाले लाखों शुक्राणु में से कुछ ही शुक्राणु फैलोपियन ट्युब तक पहुंचने में सफल हो पाते हैं । निषेचन के लगभग 30 घंटे के अंदर शुक्राणु के नाभिक एवं युग्मनज फ्यूज से बने अंडाणु से यह तय होता है की आप एक लड़की को जन्म देंगी या फिर लड़का जन्म लेगा ।

अगले आनेवाले 3 से 4 दिन में युग्मकोष 16 कोशिकाओ में विभाजित हो जाता हैं एवं जब यह गर्भाशय तक पूछता हैं तब इसे मेरुल्ला कहा जाता हैं । यह एक तरह से चिपकी हुई कोशिका से एक गेंद की तरह होती हैं

यह गर्भाशय के अस्तर में जाकर भूर्ण और अपरा में विभाजन की प्रक्रिया को आरम्भ करती है । यदि इस दो हफ्ते के दौरान आप गर्भवती होने का अनुभव नहीं कर रही है इसके लक्षण को पहचान करने से चूक सकती हैं

 5 महीने का प्रेगनेंसी लक्षण 
  • बच्चे का साइज – (pregnancy ke symptoms-pregnency ke lakshan-प्रेगनेंसी के लक्षण )

इस अवस्था में यानी की दूसरे सप्ताह में कई महिलाये को इसका एहसास नहीं होता है की अंडा अभी तक नसेचित नहीं हुआ हैं परन्तु इस समय ओवलूशन की स्थिति सबसे अच्छी होती हैं ।

इसे सबसे बेहतर इसलिए कहा जाता हैं क्योंकि मासिक धर्म के 15 वे दिन में ही ओवलूशन का होना चाहिए लेकिन जिनका मासिक धर्म 28 दिवसीय होता है वे ही इस भाग्यशाली क्षण के हकदार है यदि ऐसा नहीं है तो , सायद ओवलूशन से आप कुछ दिन पीछे हैं ।

लेकिन कई महिला को इस बारे में गलत जानकारी होती है की दो हफ्ता की गर्भवती होने का मतलब क्या होता हैं परन्तु मैं बता दू  शिशु का अकार , स्वस्थ , और विकाश अभी भी 2 से 3 वीक के बाद ही आरम्भ होगा ।

  • शारीरिक बदलाव 

pregnancy में आपके शरीर में बदलाव के अलग – अलग  तरीके होते हैं, जैसे स्तनों का बड़ा होना एक सामान्य परिवर्तन होता है, जबकि गर्भावस्था के दौरान हर एक महिला में शारीरिक बदलाव अलग-अलग होते हैं।

दूसरे हफ्ता में आपका शरीर फॉलिकल सिम्यूलेटिंग नामक हॉर्मोन का उत्पादन करता है जो  प्रमुख कूप के परिपक्व होने और टूटने में मदद करता है। इन्हें गर्भावस्था के हॉर्मोन भी कहा जाता है । या गर्भाशय बनाये रखने के उन लक्षणों का मुख्य वजह भी हैं जिन्हें आप पहले से ही अनुभव करना शुरू कर चुकी हैं।

दो सप्ताह की प्रेगनेंसी के बाद, आप समान लक्षणों का अनुभव करेंगी जैसा मासिक धर्म के दौरान अनुभव होता हैं और अन्य लक्षणों में कुछ यह भी शामिल हो सकते हैं जैसे में , स्तन मे दर्द, कूल्हों में दर्द और यहाँ तक कि यौन क्रिया करने की इच्छा भी पैदा हो सकता हैं ।

  • गर्भवस्था में दूसरे सफ्ताह के लक्षण  या ,प्रेगनेंसी है या नहीं जानिए इन लक्षणों से(pregnancy ke symptoms-pregnency ke lakshan-प्रेगनेंसी के लक्षण )

मासिक धर्म के सुरुवाती तारीख से लेकर दूसरे सप्ताह में ओवलूशन होना आरम्भ होता हैं । यदि आप गर्भवती होना चाहती हैं एवं गर्भधारण होने का सही समय और तरिके के बारे में जानना चाहती है तो यह आपके लिए सही जगह है ।

  • बी.बी.टी ( basal body temperature )

आपको बता दू की pregnency के दौरान पहले दो हफ्तों को कूपिक चरण भी कहा जाता है। यदि आप इस समय अपना बेसल बॉडी तापमान (बी.बी.टी.) नपेंगी तो पाएंगी  कि यह इस स्तर पर कम है,और जैसे ही अगले स्टेज में पहुँचती है यानी की पीतपिंड प्रावस्था चरण में प्रवेश करती हैं तब यह बढ़ने लगता है ।

  • हल्की स्पॉटिंग-(अंडा फटने के बाद गर्भावस्था के लक्षण)

जब प्रेग्नेंसी में डिम्ब फूटने के आस-पास कूप होता है, तो कुछ हल्की स्पॉटिंग दिखाई दे सकती है परन्तु रक्तस्राव भारी है, तो यह अधिक गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है इसलिए आप इनमें से किसी भी लक्षण से चिंतित हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

  • गंध का बढ़ना

pregnancy के अन्य लक्षणों की तरह ही गंध का बढ़ना  एस्ट्रोजन की वजह से होता है एवं अमूमन इसी वजह से मॉर्निंग सिकनेस भी होती है।

  • सफ़ेद सर्वायकल म्युकस

मुख्य तौर पर इस सप्ताह में सर्विक्स के म्युकस अस्तर में कुछ बदलाव होते हैं जो शुक्राणु के अंदर जाने मे मदद करते है इसलिए आपकी योनि से सफ़ेद पानी निकलने का यही कारण होता है।

अब यह जानना की आपका शरीर ओव्यूलेशन कब करता है, इस बारे में जानने के लिए ऊपर बताये गए लक्षण आपकी सहायता करते हैं नहीं तो गर्भधारण करने का सही समय जानने के लिए बाज़ार में फर्टिलिटी मॉनिटर और ओव्यूलेशन किट भी उपलब्ध हैं। परन्तु सही निर्णय यही होगा की आप गर्भावस्था के संकेतों के लिए एक नज़र रखना बहुत जरुरी है इसलिए  तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

  • प्रेगनेंसी के दूसरे सप्ताह में पेट की स्थिति – (2 week pregnancy symptoms in hindi )

दूसरे सप्ताह में निषेचित अंडाणु अभी तक आपकी गर्भाशय की दीवार से जुड़ नहीं पाता है, इस स्थिति में आपको पेट में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं दिखेगा लेकिन कुछ महिलाएं ओव्यूलेशन ( 2 वीक )के दौरान श्रोणि में दर्द की शिकायत करती हैं जो  इस दौरान सबसे ज़्यादा महसूस होता है ।

  • क्या दूसरे सप्ताह में अल्ट्रासाउंड जरुरी  हैं ?

यह प्रूव हो चूका हैं की प्रेग्नेंसी के परीक्षण केवल 4 सप्ताह के शुरू होने पर ही विश्वसनीय रिजल्ट देखने को मिलते है , यही कारण है कि प्रेग्नेंसी के दूसरे सप्ताह के दौरान अल्ट्रासाउंड नहीं किया जाता है।

फिर भी आप इस समय अल्ट्रासाउंड द्वारा अपने प्रजनन अंगों को देखते हैं, तो आपको शुक्राणु द्वारा निषेचित किया गया एक छोटा डिम्ब, फैलोपियन ट्यूब के नीचे की तरफ जाता दिखेगा।

हालांकि, डिम्ब का साइज नमक के दाने से भी छोटा होता है इसलिए हो सकता है आपको कुछ भी दिखाई न दे एवं जो जाँच करता होंगे वे इतना ही बताने में सक्षम होंगे  कि गर्भाशय की दीवार मोटी हो रही है या नहीं ।

  • सुझाव एवं देखभाल 

इस रोमांचक अवधि यानी की प्रेग्नेंसी के दूसरे वीक के दौरान खुद का ख़्याल रखना थोड़ा कठिन और भ्रमित करने वाला हो सकता है क्योंकि आज के समय में इंटरनेट पर बहुत सारी शोध सामग्री उपलब्ध हैं लेकिन किसी भी सामान को अपनाने से पहले अपने स्त्री रोग डॉक्टर से एक बार जरूर मिले ।

क्या करे 

  • अपने मासिक धर्म चक्र पर ध्यान केंद्रित करे
  • ओव्यूलेशन किट इस्तेमाल करें
  • पूर्व गर्भाधान आनुवांशिक परीक्षण

क्या नहीं करे 

  • उत्तेजित हो कर गर्भावस्था का परीक्षण न करें क्योंकि इस तरह शुरुआत में ही आप गलत फैसला का कारण बन सकती हैं 
  • डॉक्टर के अलावा किसी और से सलाह न लें।
  • डाइट क्या ले ?-(2 सप्ताह गर्भावस्था के लक्षण)

जैसा की हम सभी जानते है की स्वस्थ आहार खाने से हमेशा हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और सभी अंग अच्छे से काम भी करते है, ऐसे में जाहिर है की pregnency के दौरान ज्यादा समस्या जूझना नहीं पड़ता हैं ।दूसरे सप्ताह में आहार के रूप में संतुलित आहार के अलावा और कोई विशेष आहार लेने की जरुरत नहीं है।

शिशु अच्छी तरह से विकसित हो इसके लिए प्रारंभिक गर्भावस्था के समय स्वस्थ आहार लेना बहुत जरूरी है और आपका शरीर प्रसूति की सभी ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम हो सके ।

यदि आप गर्भधारण करने के लिए उत्सुक और इस नए अनुभव को महसूस करना चाहती हैं, तो प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ, जैसे -अंजीर,  हरे पत्तेदार साग, सामन मछली और विभिन्न प्रकार की साम्रगी को अपने डाइट में शामिल जरूर करें।(pregnancy ke symptoms-pregnency ke lakshan-प्रेगनेंसी के लक्षण)

यदि आप चाय या कॉफी ज्यादा लेती है तो उसमे पाए जानेवाले वाले कैफीन का सेवन प्रेग्नेंसी के रुझान को कमजोर बना सकता अथार्त यह गर्भाधान की संभावना को कम करता है।

खाद्य पदार्थ जिसमें फॉलिक एसिड की मात्रा पाया जाता है ऐसे खाद्य पदार्थों का का सेवन करना अच्छा होता है, जैसे पालक और चिकित्सक इस बारे में सलाह जरूर  लें। इससे जन्म के समय होने वाली परेशानी जैसे न्यूट्रल ट्यूब डिफेक्ट्स (जन्म के समय रीढ़ की हड्डी मे दिक्कत ) की संभावना कम हो जाती हैं ।

खरीदारी  क्या करे ?(2 सप्ताह गर्भावस्था लक्षण)

सबसे पहले प्रेग्नेंसी कन्फर्म होने के बाद एक अच्छा स्त्री रोग विशेषज्ञ चुने जो विश्वासपात्र होता है एवं आपके सभी डर खत्म करने में आपकी सहायता करता है। जब भी आपको उनकी आवश्यकता महसूस हो तो डॉक्टर से जरूर मिले नहीं तो उनका सम्पर्क अपने मोबाइल स्पीड डायल पर रखें ।

first month pregnancy symptoms in hindi-एक महीने की प्रेगनेंसी के लक्षण

ऐसा अक्सर होता है की कई बार आप गर्भधारण कर चुकी होती हैं, लेकिन उसका पता आपको नाह चल पाता है लेकिन यहाँ आप पढ़कर कुछ लक्षणों और संकेतों को जान सकती हैं जिसे पता लग सके कि आप एक महीने की प्रेग्नेंट हो चुकी हैं

  • पिरयड्स का नहीं आना 

इसे आप पहले संकेत के रूप में देख सकती है और डॉक्टर का भी पहला सवाल पीरियड्स से सम्बंधित होता हैं इसलिए जब आप प्रेग्नेंट होंगी, तब सबसे पहले आपका पीरियड्स प्रभावित होगा जिसमे गर्भ धारण करने के बाद शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का निर्माण होना सुरु हो जाता है जो पीरियड्स को रोकने का काम करता है।

  • थोड़ा ब्लीडिंग या स्पॉटिंग 

फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया में जब डिंब (Ovum) यूटरस के संपर्क में आता है तब पेट के निचे वाले हिस्से में ऐंठन ,दर्द होता है, जिससे स्पॉटिंग कहते है। प्रेग्नेंसी के प्रथम महीने में हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग नॉर्मल (1 month pregnancy symptoms in hindi) है। अधिक ब्लीडिंग हो, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

  • थकान का आना – (pregnancy ke symptoms-pregnency ke lakshan-प्रेगनेंसी के लक्षण )

महिला के pregnancy होने के दौरान उसके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इससे शरीर थका हुआ, सुस्त, एनर्जी की कमी महसूस होती है। चलने-फिरने में ताकत की कमी महसूस हो सकती है और तो और  ऐसा लगता है बस हर समय बिस्तर पर सोए रहें।

  • चिड़चिड़ापन का आना 

मूड का स्विंग होना गर्भावस्था के प्रथम महीने का मुख्य लक्षण में से एक है अथार्त प्रथम महीने में अधिकतर महिलाओं का मूड, व्यवहार में काफी बदलाव देखने को मिलता है । ऐसा शरीर में हार्मोन के बदलाव के कारण होता है।बात-बात पर खीजना ,बार-बार गुस्सा करना , चिड़चिड़ापन महसूस करना मुख्य लक्षण हैं

भूर्ण का विकास – 3 week pregnancy symptoms in hindi

1 ) संभोग के बाद निषेचन की प्रक्रिया कुछ घंटो में सुरु हो सकती है जिसके बारे में आगे बताया जा चूका है की शुक्राणु एवं डिंब एक दूसरे के संपर्क में आते है तो शिशु का निर्माण कार्य शुरू हो जाता है, इस प्रक्रिया को युग्मनज कहा जाता है।

2 ) युग्मनज बनने के बाद (one month pregnancy symptoms in hindi)फैलोपियन ट्यूब के जरिये गर्भाशय में प्रवेश कर लेता है इसके बाद यहाँ पर वह एकत्रित मांसपेशियो में विभाजित होने लगता है पोषण प्राप्त करने के लिए गर्भाशय की दिवार से जुड़ जाता है।

3 ) गर्भावस्था के तीसरे व चौथे हफ्ते में भ्रूण में हृदय की धड़कन धड़कने शुरू कर देती है। हालांकि इस समय भ्रूण मटर की दाने की तरह होता है लेकिन उसमे शिशु के फेफड़े, हाथ-पैर बनना शुरू हो जाता है। इसके बाद जब शिशु के चेहरे का निर्माण होता है तो उसमे नाक , कान, आंख भी बनाना आरम्भ हो जाता है ।

जांच की अव्सय्कता – (1 महीने गर्भावस्था के लक्षण )

1 ) pregnancy की जांच करते समय एवं आपके अंदर  एच.सी.जी. हार्मोन की उपस्थिति को पुख्ता करने के लिए डॉक्टर आपका मूत्र सैंपल की  जांच कर सकते है। इसके अतिरिक्त रक्त की भी जांच हो सकती हैं ।

2 ) गर्भावस्था में जोखिम का पता लगाने के लिए डॉक्टर सीरम प्रोजेस्टेरोन की जांच करने के कह सकते हैं

3 ) गर्भावस्था का पता लगाने के लिए डॉक्टरअल्ट्रासाउंड स्कैन कर सकता है जिसे एक महीने में किया भी जाता है इससे महिला की अन्य बीमारियों का भी पता लगया जाता है।

4 ) गर्भधारण में समस्या उत्पन्न करने वाले कारणों के बारे में पता करने के लिए पैप स्मीयर जांच की भी जांच होती हैं ।

pregnancy के पहले महीने में क्या नहीं करना चाहिए – (4 week pregnancy symptoms in hindi )

1 ) गर्भावस्था के पहले महीने गर्भपात का खतरा सबसे ज्यादा रहता है, इसलिए इस दौरान लंबी यात्रा करने से जितना हो सके बचने की कोशिस करे ।

2 ) ऊंची एड़ी वाली सैंडल पहनना छोड़ दे pregnency के दौरान ऐसे सैंडल पहनने से पैरों में दर्द होने के साथ पैर मुड़ने और गिरने का खतरा भी बना रहता है

3 ) भारी चीजें न उठाएं एवं ज्यादा झुकने से बचें  ऐसा करने से आपके पेट पर दबाव पड़ता है जिसके कारण शिशु के विकास में बाधा आ सकती है।

4 ) गर्भावस्था के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह लिए कोई भी दवा का सेवन नहीं करना चाहिए।

5 ) जितना हो सके तनाव से दूर रहें और इससे बचने के लिए अच्छी किताबें पढ़ें या पसंदीदा संगीत सुनें।

6 ) इस दौरान डाइटिंग बिल्कुल नहीं करें और आपको बता दू की गर्भावस्था के पहले महीने में किसी भी गर्भवती महिला के शरीर को ज्यादा पोषक तत्वों की जरूरत होती है क्यिंकि ऐसा नहीं करने से भ्रूण को नुकसान हो सकता है।(1st month pregnancy symptoms in hindi)

डाइट का रोल – 3 सप्ताह गर्भावस्था के लक्षण 

  • अपने आहार तथा डाइट में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ अधिक शामिल करें।
  • pregnancy में अधिक मात्रा में तरल पदार्थ एवं पानी का सेवन करना चाहिए।
  • हो सके तो गर्भावस्था के दौरान थोड़ा चलना फिरना चाहिए साथ ही चाहे तो आप हल्के व्यायाम भी कर सकते है।
  • pregnancy में पर्याप्त मात्रा में नींद लेनी चाहिए ताकि शरीर रिलैक्स रह सके
  • गर्भावस्था के समय अपनी योनि में संक्रमण से बचाव करने के लिए योनि की स्वच्छ रखना बहुत जरुरी है ।
2 महीने गर्भावस्था के लक्षण-7 week pregnancy symptoms in hindi

यह 8 वें सप्ताह गर्भावस्था लक्षण और प्रेग्‍नेंसी का दूसरा महीना किसी भी महिला मां के शरीर में ढेर सारे बदलावों को लेकर आता है ।इस स्टेज में बच्‍चे का भी विकास हो रहा है, उसके बढ़ते आकार के हिसाब से शरीर में जरूरी बदलाव भी नजर आने लगते हैं ।

प्रेग्‍नेंसी का दूसरा महीना यानि पहली तिमाही के लगभग 10 सप्ताह गर्भावस्था लक्षण  बीचों-बीच में गर्भवती महिला को कुछ परेशानी का सामना करना पड़ सकता है तो उन्ही परेशानी और लक्षण को पुरे विस्तार से जानने की कोशिस करते हैं ।

  • बार – बार टॉयलेट जाना 

आपको बता दू की आपके पेडू वाले क्षेत्र में रक्त का संचालन में तेजी आ जाती हैं लेकिन इसमें कोई कुछ कर नहीं सकता हैं परन्तु इसमें थोड़ी सावधानी बरती जाए हुए खूब सारा पानी पिया जाए तो डिहाइड्रेशन से बचा जा सकता हैं । इसके अलावा यूरिन को रोकने की गलती न करे क्योंकि इससे यूरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है ।

  • छाती  में दर्द – (9 week pregnancy in hindi)

इस महीने छाती में दर्द का एहसास आम बात है ऐसा इसलिए होता हैं क्योंकिआपका शरीर आने वाले नन्‍हे मेहमान के लिए खुद को तैयार कर रहा है ताकि उसके खुराक के जरुरत को पूरा किया जा सके ।

  • थकान 

बढ़ते वजन और जी मिचलाने की वजह से आपको थकान लगना एक स्वाभाविक बात है । इसलिए ज्यादा से ज्यादा आराम करने के लिए समय निकाले , घर के कामकाज में अब घर के दूसरे सदस्‍यों की मदद लेने की कोशिस करे तो बेहतर विकल्प हो सकता है ।

  • जबर्दस्‍त मॉर्निंग सिकनेस- (10 week pregnancy symptoms in hindi)

लगभग सभी गर्भवती महिलाओं के लिए यह मुश्किल दौर है लेकिन सभी को इससे गुजरना पड़ता है। हैरानी कर देने वाली बात यह है की कुछ महिलाओं को पूरी प्रेग्‍नेंसी में जी मिचलाने की समस्‍या बिल्‍कुल आभास ही नहीं होता है ।अगर आप भी इस समस्या से रूबरू हो रहे है तो समझने की कोशिश कीजिए ऐसा क्‍यों हो रहा और शायद तब इसे सहने में हो सकता है आपको मदद मिले जाए ।

सुबह उठते ही जी मिचलाना, अथार्त पेट का खाली होना  एक बड़ी वजह हो सकती  है इसलिए बेहतर यही होगा की उठते ही कोशिश करें कि विटमिन सी वाला कोई फल खा लें, जैसे, संतरा वगैरह जिससे जी मिचलाने पर काफी हद तक कंट्रोल हो सकता है ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर राय ले ।

कोशिश करें कि सुबह में एक ग्‍लास नीबू पानी या नारियल पानी पी लें। कभी-कभी आयरन की गोली खाने के बाद भी जबर्दस्‍त जी मिचलाता है। इसका उपाय यह है कि गोली को एक ग्‍लास नीबू पानी के साथ सव्वं करे क्योंकि  विटमिन सी आयरन को शरीर में आसानी से समाने देती है।

  • कब्ज़ की शिकायत 

यही वह समय है जब कब्‍ज की समस्‍या से आपका  सामना होता है। इसकी मौजूदगी के कई वजह हो सकते हैं जैसे में , पहली है प्रोजेस्‍टेरॉन नाम का हार्मोन, दूसरी वजह है शरीर में पानी की कमी और तीसरी वजह है आयरन की गोली।

इससे छुटकारा पाने का सबसे आसान तरीका है ज्‍यादा से ज्‍यादा पेय पदार्थ लें, ऐसे में नारियल पानी काफी फायदेमंद शाबित हो सकता है यह शरीर में एनर्जी देने के साथ कब्‍ज से भी छुटकारा दिलाता है। इसके  अलावा सलाद सब्जियां,फल , ज्‍यादा खाएं और मसालेदार चीजें खाना कम कर दे ।

दूसरे महीने में शरीर में होने वाले बदलाव

गर्भवती महिला (Pregnant women) और गर्भ में पल रहे शिशु के लिए 2months pregnency बेहद ही नाजुक होता है। प्रेग्नेंसी के पांचवे सप्ताह में जब कोई  महिला प्रवेश करती है, तो वह इस स्टेज का दूसरा महीना (Second Month Pregnancy in hindi ) कहलाता है

पहले महीने  दिखने वाले लक्षण , दूसरे महीने के लक्षण से थोड़े भिन्न हो सकते हैं। सुबह उठकर उल्टी करना ,थकान, जी मिचलाना, सिरदर्द आदि सबसे आम प्रेग्नेंसी के लक्षण (Pregnancy symptoms in Hindi) हैं

सबसे अच्छी बात यह है की दूसरे महीने से गर्भ में पल रहे भ्रूण को भी अल्ट्रासाउंड में आसानी से दीखता है। विस्तार से जानते हैं प्रेग्नेंसी के दूसरे महीने में नजर आने वाले कुछ  ( 2 months pregnant symptoms in hindi ), शारीरिक बदलाव, सावधानियां , डाइट

इस समय  एचसीजी हार्मोंस का स्तर बढ़ जाता है और इससे ये पता लग जाता है कि आप प्रेग्नेंट हैं। इस हार्मोंस के बढ़ने से ही शरीर में बदलाव आने लगते हैं और हो सकता की आपको अनियंत्रित महसूस हो

दूसरे महीने में पेट बढ़ा हुआ नजर नहीं आता है, इसलिए  लोगों को  प्रेग्नेंट का पता नहीं चलता और आने वाले दिनों में धीरे-धीरे पेट पर दबाव बढ़ने लगता है और इसी  समय आपको ज्यादा आराम करना चाहिए

दूसरे महीने में शिशु का विकास- (2 month pregnancy symptoms in hindi)

2 महीने में शिशु का साइज एवं विकाश  लगभग 1-5 मिमी तक हो जाता है। शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे- दिल, हड्डी, मांसपेशियों, तंत्रिका तंत्र विकास होना शुरू हो जाता है। हड्डियां अपना आकार लेने लगती हैं

हार्ट चार चैम्बर में विभाजित हो जाता है और खून पंप करने लगता है। प्लेसेंटा यानी नाल और एम्बिलिकल कॉर्ड यानी गर्भनाल का विकास होने से  शिशु को भोजन प्राप्त होता है। धीरे-धीरे नाक, मुंह, कान, आंख, उंगुलियां दिखाई देने लगती हैं

प्रेग्नेंसी के दूसरे महीने में डाइट – (pregnancy ke symptoms-pregnency ke lakshan-प्रेगनेंसी के लक्षण )

यदि आप भी दो महीने की प्रेगनेंसी  हैं, तो यह अवस्था शिशु के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है इसलिए जरुरी है की आपका खानपान हेल्दी और पौष्टिक और पोषण चीजों से भरपूर हो और बाहर का खाना एक दम बंद कर दें।

हमेशा घर का बना ताजा और पौष्टिक भोजन को ही अपने डाइट में शामिल करें अथवा स्वस्थ और संतुलित आहार लें। हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, अधिक मात्रा में तरल पदार्थ, मछली, अंडा, स्प्राउट्स,साबुत अनाज आदि कोअपनी डाइट में शामिल कर सकती है ।(7 सप्ताह गर्भावस्था लक्षण )

प्रेग्नेंसी में बच्चे की हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए दूध, दही, पनीर का भी सेवन करे। शरीर में खून और आयरन की कमी को पूरा करने के लिए आयरन से भरपूर फूड्स, फल-सब्जी जैसे पालक, चुकंदर आदि को भी आजमा सकती हैं ।

आपको बता दू की कैल्शियम,फॉलिक एसिड, फोलेट,आयरन, जिंक, आयोडीन, विटामिन डी pregnancy में बहुत जरूरी हैं। डॉक्टर आपको यही सप्लीमेंट्स लेने की भी सलाह देंगे, इन्ही के वजह बच्चों में जन्म–दोष को रोका जा सकता है।

सावधानिया बरते – ( Second Month Pregnancy Symptoms in Hindi )

  • आराम करें और ज्यादा भारी सामान ना उठाएं
  • लिक्विड पदार्थ अधिक लें क्योंकि प्रेग्नेंसी में खुद को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी है
  • भोजन घर का खाएं और फल-सब्जियों खाने से पहले अच्छी तरह धो ले
  • एक बार में ही अधिक खाना ना खाये बल्कि थोड़ा-थोड़ा खाएं।
  • ब्रेस्ट का साइज बढ़ने के वजह से कोशिस करे की सपोर्टिव ब्रा पहनें

निष्कर्ष (pregnancy ke symptoms-pregnency ke lakshan-प्रेगनेंसी के लक्षण )

आपकों मेरा यह आर्टिकल pregnancy symptoms in hindi या  , pregnancy in hindi कैसा लगा हमे कमेंट में जरूर बताये और किसी सवाल को भी मुझसे पूछ सकते है जिसका उत्तर जल्द से जल्द देने के प्रयाश किये जायेंगे धन्यवाद ।

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