solar panel in hindi-types/work/information-सोलर पैनल क्या है
वैसे तो सोलर पैनल के बारे में हम सभी जानते हैं की यह सूर्य की रोशनी में वर्क करता हैं और जब सूर्य की किरणे सोलर पैनल पर पड़ती है तो यह लाइट एनर्जी को इलेक्ट्रिक एनर्जी में कन्वर्ट कर देता हैं या बिजली पैदा करता है जो वही करंट से हम अपने इन्वर्टर के बैटरी चार्ज करके पुनः इन्वर्टर के द्वारा बिजली के रूप में इस्तेमाल करते हैं ।
आज हम सोलर पैनल के उन विषय के बारे में बात करेंगे जो सायद आपको मालूम ना हो और ये सभी बातें टेक्निकल नॉलेज से जुडी हुई हैं तो जरा ध्यान से समझियेगा तो सब समझ में आ जायेगा तो चलिए सोलर पैनल के उन छुपी हुई जानकारी को जानने की कोसिस करते हैं ।
A- कुछ सोलर प्लेट 16 से 18 वोल्टस के होते जो आपके 12 वोल्ट के बटेरी को जल्दी चार्ज नहीं कर पाते हैं और 12 वोल्ट के सोलर पैनल कभी भी 12 वोल्ट के बटेरी को चार्ज नहीं कर सकता हैं इसलिए सोलर प्लेट खरीदते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
B – इसके बारे में आपको सटीक जानकारी को जानना बहुत जरुरी हैं इसलिए हमने इस विषय को मुख्य तीन भागों में बाँट दिया हैं जिससे आपको समझने में कोई परेशानी न होने पाए और आप एक बढ़िया सोलर पैनल को अपने बैटरी के साथ कनेक्ट कर सकें तो चलिए सुरु करते हैं ।
Table of Contents
- unloaded voltage
- rated voltage
- the current of solar panel


सौर ऊर्जा के बारे में जानकारी-information about solar panel in hindi
सोलर पैनल को बैटरी से कनेक्ट करते वक़्त हमे सावधानी बरतनी पड़ती हैं और जरा सा चूक भी हमारे बटेरी को नस्ट कर सकता हैं इसलिए सोलर प्लेट और बटेरी लेते वक़्त हमारे द्वारा सुझाये गए बातों को अवस्य ध्यान दे ताकि आप इस तरह के नुक्सान से बच सके ।
unloaded voltage
चाहे हम सोलर पैनल की बात करे या फिर बैटरी की इन दोनों में वोलटेज की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती हैं । 12 वोल्ट की बैटरी कभी भी 12 वोल्ट पर फुल चार्ज नहीं मन जाता हैं बल्कि इसके फुल चार्ज की रेटिंग 15 वोल्ट के आस – पास होती है
जिसे हम “floating voltage” कहते हैं यानी की जब बैटरी चार्जिंग का समय चार्ज होकर 15 वोल्ट तक पहुंचती है तब वो फुल चार्ज हो जाती हैं और 12 वोल्ट उसका सबसे लौ लेवल हैं ।
इसलिए हमे उन्ही सोलर पैनल का चुनाव करना चाहिए जो की 15 वोल्ट के ऊपर हो तभी यह हमारे बैटरी को चार्ज करने में सक्षम हो पायेगा ।
उसके परतेक सेल की गिनती करके भी वोल्टेज को काउंट कर सकते हैं जैसा की परतेक सेल की वोल्टेज रेटिंग 0.6 वोल्ट होती हैं और सभी solar panel सेल को काउंट करके 0.6 से गुना कर दीजिये आपका उस पैनल का पूरा वोलटेज काउंट हो जायेगा ।
यदि आप इसके सेल के काउंट करने में परेशानी हो रहो हैं तो कड़ी धुप में सोलर पैनल को रोशनी के दिशा में रख दे और मीटर के मदद से उसके वोल्टेज को बड़े आसानी से चेक कर सकते हैं ।
rated voltage
सोलर मोबाइल चार्जर कैसे बनायेकिसी भी सोलर पैनल में दी गयी voltage rating उस पैनल की सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं और इसे तेज सूर्य की रोशनी में नपा गया होता हैं जिसे nominal voltage भी कह सकते हैं ।
मान लीजिये की कोई सोलर पैनल को तेज धुप रोशनी में रखा हुआ हैं लेकिन यह जरुरी नहीं है की उसमे लगे सारे सेल एक जैसे आउटपुट वोल्टेज दे हाँ ये बात जरूर हैं की आपके बैटरी को चार्ज करने के लिए यह सही समय हो सकता हैं
लेकिन उस पैनल पर ज्यादा रोशनी पड़े इसका भी हमे जरूर ध्यान देनाचाहिए जिससे हम अपने बैटरी को जल्दी फुल चार्ज कर सकें । ऐसा भी हो सकता हैं की सोलर पैनलरखने की दिशा सही नहीं है और उसके आउटपुट का वोल्टेज 18-20 ना होकर 15 वोल्टेज हैं
और क्योंकि इसके अंदर डायोड भी लगे होते है जो 0.2 वोल्टस की खपत करते हैं और हमारे बटेरी को केवल 13.8 वोल्ट ही मिल पाती हैं इसलिए हमारा बटेरी कभी भी फुल चार्ज नहीं होगा । इसलिए समय – समय पर इसके साफ़ सफाई का ध्यान और सूर्य की दिशा को जरूर चेक करते रहें ।
the current of solar panel (solar panel system information in hindi)
सोलर पैनल के करंट को जानकार भी हम इसके working और इसके charging capacity को जान सकते हैं बस इसमें आपको कुछ गाडित ज्ञान की अवस्य्क्ता पड़ने वाली हैं चलिए इसे भी समझ लेते हैं ।मन की मेरे पास 20 वाट और 18 वोल्टस का सोलर पैनल हैं और 1 एम्पेयर की आउटपुट हैं और दिनभर की धुप में 5 एम्पेयर ही इस सोलर पैनल से मिल रहा हैं ।
जैसा की हमे पता हैं की बैटरी को हम एम्पेयर में काउंट करते हैं और हमारे पास 40 एम्पेयर की बैटरी कैपेसिटी हैं तो इस 40 एम्पेयर बैटरी को चार्ज करने के लिए हमे 8 दिन का समय लगेगा ।
अथार्त सोलर पैनल खरीदते समय बैटरी का कैपेसिटी का भी ध्यान जरूर रखें । तो इस तरह हम इन तीन बिंदु को समझ कर अच्छे सोलर पैनल का चुनाव कर सकते हैं जिससे हमे फ्यूचर में सोलर से सम्बन्धित किसी परेशानी का सामना न करना पड़े ।
सोलर पैनल या , सोलर सेल किस सिद्धांत पर काम करता है?
सूर्य की रौशनी से निकलने उर्जा में कुछ कण होते है इन्हें फोटोन के नाम से जाना जाता हैं और इन फोटोन से प्राप्त होने वाली energy को सोलर energy कहा जाता हैं .
जब फोटोन सोलर पैनल से टकराते है तब उसके अंदर मौजूद इलेक्ट्रान अपने ऑर्बिट से बहार निकलकर सोलर सेल द्वारा पैदा किये गए इलेक्ट्रिक फिल्ड में चले जाते हैं .
इस पूरी प्रक्रिया को फोटोवोल्टिक प्रभाव कहा जाता हैं जिसके मदद से हमे सोलर पैनल द्वारा बिजली प्राप्ति हो जाती हैं और सूर्य के प्रकाश की विधुत में बदला जाता हैं .
सोलर पैनल कैसे काम करता हैं ?
सोलर सेल दो तरह के सेमी कंडक्टर के बने होते हैं जिनमे पहला p-type और दूसरा n-type का होता हैं जो एक साथ आपस में जुड़कर p-n junction का निर्माण करते हैं जिसके उपरान्त फोटोवोल्टिक प्रभाव का निर्माण होता हैं .


जब इन दोनों सेमी कंडक्टर को आपस में जोड़ दिया जाता है तो जंक्शन क्षेत्र में विधुत पैदा होता हैं इसका मुख्व वजह इलेक्ट्रान के पॉजिटिव p-side और कुछ होल्स के नेगेटिव n-side जाने के कारण होते हैं .


solar panel working in hindi–(solar panel in hindi-types/work/information-सोलर पैनल क्या है)
सौर ऊर्जा कैसे काम करता है? क्या आप जानते हैं की सोलर पनेल मे सिलकोन का इस्तेमाल क्यों होता हैं यदि नहीं तो मैं बताता हूँ क्योंकि सिलिकॉन में हीट सहने के क्षमता बहुत ज्यादा होती हैं
और साथ में यह जल्दी गर्म भी हो जाता हैं इसलिए सोलर पैनल में लगे सिलिकॉन पर जब सूर्य की रौशनी पड़ती हैं । तब इसमें से इलेक्ट्रान बहने लगते हैं और इन्ही इलेक्ट्रान की मदद से हम इसके द्वारा बिजली पैदा कर पाते हैं ।
एक सोलर पैनल में बहुत सारे छोटे – छोटे सिलिकॉन की लेयर बिछी हुई रहती हैं जो सब आपस में एक दूसरे से कनेक्ट रहते हैं बस अंतर इतना रहता है की पॉजिटिव और नेगेटिव की लेयर अलग – अलग होती हैं जिससे इसमें पैदा होनेवाले करंट को जमा किया जा सके ।
types of solar panel in hindi
मुख्या रूप से सोलर पैनल दो तरह के होते हैं –
BUY BEST PRICE SOLAR PANEL / DISCOUNT
- poly-crystline solar panel
- mono-crystline solar panel
3 Thin-Film Solar Panel
1 – poly-crystline solar panel


जिस जगह में ज्यादा धुप निकलती है वहां इस तरह के सोलर पैनल का उपयोग किया जाता हैं इसकी क्षमता मोनो के मुक़ाबले कम होती हैं और प्राइस में सस्ती होती हैं और सस्ते होने कारण इसका प्रयोग सबसे ज्यादा होता हैं ।
2 – mono-crystline solar panel


इस तरह के सोलर पैनल प्राइस में महंगे होते है क्योंकि इसमें सुध सिलिकॉन का इस्तेमाल किया जाता हैं जिससे कम धुप में या जहाँ धुप कम उगते हो वहां पर इसका इस्तेमाल करके ज्यादा से ज्यादा करंट को पैदा किया जा सके ।
चूँकि इसमें सिलिकॉन की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए यह पाली के मुक़ाबले महंगा होता है और इसकी कलर ब्लैक होना इसको पचानने की सबसे अच्छा तरीका है ।
३ – Thin-Film Solar Panel
यह सोलर पैनल की बनावट बिलकुल नए तरीके का है जिसमे केवल सिलिकॉन का प्रयोग न करते हुए कुछ अन्य मटेरियल के अनुपात के साथ तयार किया जाता हैं जिसमे – कैडमियम, टेल्यूराइड (CdTe), अमोर्फोस सिलिकॉन (a-Si) और कॉपर ईण्डीयुम गैलियम सोलेनाइड (CiGS) आदि जैसे मटेरियल मुख्य हैं .
इन सोलर पैनल के बनाते वक्त मुख्य मटेरियल को conductive sheet के बिच में रखा जाता हैं जिसमे प्रोटेक्सन के लिए सीसे की परत बिछाई जाती हैं .
सौर ऊर्जा के क्या क्या लाभ है?(solar panel in hindi-types/work/information-सोलर पैनल क्या है)
सौर ऊर्जा या सोलर पैनल के इंस्टाल से हमे होने वाले फायदे के बारे में जानने की
कोसिस करते हैं और इससे होने वाले जितने भी लाभ हैं वो निचे दिए गए है जिसे
आप पढ़कर समझ सकते हैं ।
- वातावरण के लिए
इसको लगाने के बाद हमारे वातावरण को कोई भी नुक्सान नहीं पहुँचता हैं क्योंकि एनर्जी पैदा करने के लिए हम सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल करते हैं
जबकि इसकी तुलना में दूसरे साधन जैसे थर्मल पावर , कोल् पावर , नुक्लेअर पावर में बहुत ज्यादा मात्रा में हमारे वातावरण को नुक्सान होता है तभी तो सरकार सोलर एनर्जी पर सबसे ज्यादा ध्यम केंद्रित कर रही हैं जिससे एनवायरनमेंट को ज्यादा नुक्सान होने से बचाया जा सके ।
- मेंटेनेंस
किसी दूसरी परियोजना के मुक़ाबले इसकी रख – रखाव में कम खर्च आता हैं केवल कुछ समय के अंतराल पर इसके पैनल को साफ़ करना होता है और इसके आउटपुट करंट को चेक करना पड़ता हैं ।
- बिजली बिल
चूँकि इसकी देख रेख में बहुत्त ही कम लोगों की अव्सय्कता पड़ती है इसलिए इस प्रोजेक्ट के द्वारा तैयार की गयी बजली के बिल को कम रखा जाता हैं और सोलर पैनल को कहीं भी इनस्टॉल करके बिजली पैदा की जा सकती है इसके लिए जगह का चुनाव ज्यादा मायने नहीं रखता हैं ।
FAQs-(solar panel in hindi-types/work/information-सोलर पैनल क्या है)
सोलर सैल कितने प्रकार के होते है?
यह तिन तरह के होते हैं –
1 –poly-crystline solar panel
२ – mono-crystline solar panel
3 – Thin-Film Solar Panel
सोलर पैनल किसका बना होता है?
इसमें सबसे अधिक सिलिकॉन का इस्तेमाल किया जाता हैं लेकिन आज के समय में सबसे बेस्ट सोलर पैनल बनाने के लिए कैडमियम, टेल्यूराइड (CdTe), अमोर्फोस सिलिकॉन (a-Si) और कॉपर ईण्डीयुम गैलियम सोलेनाइड (CiGS) का भी इस्तेमाल किया जा रहा हैं .
सोलर सेल कितने वोल्ट होते हैं?
यह 0.5 वाल्ट से लेकर ४८ वाल्ट से भी अधिक मार्किट में बिकते है जिन्हें लोगो के जरुरत के मुताबिक बनाया जाता है जिसमे सबसे अधिक १२ वाल्ट का डिमांड हैं .
एक सोलर पैनल कितने वाट का होता है?
एक छोटे सोलर पैनल 0.७ वाट का होता है परन्तु जैसे – जैसे इन्हें आपस में जोड़ा जाता हैं तो इनकी वाट क्षमता भी बढती जाती हैं यदि किसी को ३०० वाट के पैनल चाहिए तो उन्हें 100 वाट के तिन पैनल लेने होंगे .
सोलर पैनल बिजली कैसे पैदा करते हैं?
सूर्य की रौशनी से निकलने उर्जा में कुछ कण होते है इन्हें फोटोन के नाम से जाना जाता हैं .
जब फोटोन सोलर पैनल से टकराते है तब उसके अंदर मौजूद इलेक्ट्रान अपने ऑर्बिट से बहार निकलकर सोलर सेल द्वारा पैदा किये गए इलेक्ट्रिक फिल्ड में चले जाते हैं .
इस पूरी प्रक्रिया को फोटोवोल्टिक प्रभाव कहा जाता हैं जिसके मदद से हमे सोलर पैनल द्वारा बिजली प्राप्ति हो जाती हैं और सूर्य के प्रकाश की विधुत में बदला जाता हैं .
conclusion(solar panel in hindi-types/work/information-सोलर पैनल क्या है )
दोस्तों इस आर्टिकल में मैंने सौर ऊर्जा का महत्व और प्रयोग के बारे में अच्छी तरह से समझाया है की कोना सा सोलर पैनल खरीदना चाहिए और इसके कार्य के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया हैं
आपको यदि पसंद आय तो हमे कमेंट में जरूर बताएं जिससे हमे औरभी इसी तरह के लेख आपके सामने लाने में मदद मिलती हैं धन्यवाद ।